राजा बीरपति और उसकी प्रजा की हिन्दी कहानी Hindi kahani
राजा बीरपतिकेनयेआदेशसेकिसान, मजदूरआदिसभीलोग बहुतपरेशानथे।सभीकोआनेवालेभविष्यकी चिंतासतानेलगी. उसवर्षराज्यमेवर्षानहींहुई।किसानखेतोंकीसिंचाईऔरलोगोंकेपीनेकेपानीकेलिएकुओं यातालाबोंपरनिर्भरथे।
राजाबीरपतिनेउनदिनोंअपनेकिलेके चारो तरफ एक तालाबबनवायाथा।उन्होंनेअपनेमहलकेसाथ– साथएक नयाबगीचाभीलगानाशुरूकरदियाथा।उनदोनोंमे ही पानीकीबहुतजरूरतथी. इस्लियेराजानेआदेशदियाकि जहांभीउपलब्धहोवहांसेपानीलायाजायेऔरकिलेकेतालाबको पानी से भर दियाजाये, ताकिदुश्मनकिसीभी तरहकिलेतक ना पहुंचसके और बगीचेमेफूलो और वनस्पति के सभी वृक्ष को वी पूरापानीउपलब्धहोनाचाहिये।राजाकायहआदेश सुन कर प्रजा बहुत दुखी हुई। राजा ने अदेश दिया सभीकुओं और तालाबों का पानी राजमहल के तालाब मे भर दिया जाये।सभी लोग राजा के पास चले गये, उन्होंनेराजाकेपासजाकरउनसेआगामीवर्षाऋतुतक अपनीदोनोंयोजनाओंकोरद्दकरनेकाअनुरोधकिया और राजा बीरपति को बताया कि अगर सारा पानी राजमहल के तालाब मे भर देगे तो हम सभी प्यासे ही मर जायेगे. अगर पानी ही नही मिलेगा तो हमअपनेखेतोंकोगीला कैसे रख सकेंगे, हम सब तो खेती करने के लिये कुओं और तालाबो पर ही निर्भर है. लेकिनराजानेउनकी एक ना सुनी कोई बात नहींमानी।राजानेआदेशदियाकिसभीतालाबोंआदिकापानीकिलेके तालाब मेडालदियाजायेऔरसारापानी महलकेझरनोंमेजमाकरदियाजायेताकिउसकाउपयोगबगीचोंमेकियाजासके। और जो वी मेरा अदेश ना माने उसे कारागार मे डाल दिया जाये, राजाकीआज्ञामानकरबैलगाड़ियोंसेपानीढोयाजानेलगा।
लोगोंमेहाहाकारमचगया. कुश लोग हमेशा के लिये राज्य छोड़कर दूसरे राज्य मे रहने के लिये चलेगये।पड़ोसके राजा शिव प्रताप की राजाबीरपतिसेदुश्मनीथी।जबउन्होंने राजा बीरपतिकेराज्यकीऐसीहालतदेखीतोउन्हें बहुत ख़ुशीहुई।उसनेबदलालेनेकेलिये राजा बीरपतिकेराज्यपरआक्रमणकरनेकीसोची।उसनेअपनीसेना सीमापरभेजदी. सीमापरसेनाकेआनेकासमाचारसुनकरराजाबीरपति चिंता मे डूब गया. राजा बीरपति के पास सैनिक बहुत कम थे उनकी संख्या बहुत कमथी।
बीरपतिराजाहोनेकीआड़मेकिसानोकेपीनेकेपानीऔरसिंचाईकेपानीकाउपयोगअपनेनिजीफायदेकेलिये कररहाथा।इससेलोगकाफीनाराज हो चुके थे. लेकिन फिर वी जरूरतकेसमयलोगोंनेहथियारउठाने के लिये सोच लिया औरराजाकीसेनाका साथ देने की योजना बनायी।राजा को जे उमीद बिलकुल वी नही थी कि उसकी प्रजा उसकाइतना साथ देगी। पड़ोसीराजा शिव प्रताप कीसेनानेआक्रमणकरदिया।राजाबीरपतिकीछोटीसी सेनानेउसहमलेकाजवाबदिया.लेकिन राजा शिव प्रताप की सेना राजा बीरपति पर भारी पड़ रही थी. राजा बीरपति समज गया अब हार मानने मे ही भलाई है.
राजा बीरपति निराशाकेसागरमेंडूबेहुएथेकिअचानकउन्हेंएक मंत्री ने नईखबरसुनाई।यहसमाचारसुनकरराजा कोबड़ाआश्चर्यहुआ।उसेविश्वासनहींहोरहाथा. राजानेदेखाकिलोगपड़ोसीदेशकेआक्रमणकाउत्तरदेनेके लिऐतैयारहैं।किसानों–मजदूरोंनेहथियारउठालियेहैऔरखुदकोसैनिकबनालियाहै. और सभी शिव प्रताप की सेना के ऊपर टूट पड़े. राजा शिव प्रताप की सेना को कुश वी समज नही आ रहा था, राज्य की आम जनता शूरवीरों की तरह लड़ रही थी. आम नागरिकों को शूरवीरों की तरह लड़ता हुआ देख कर राजा शिव प्रताप के पैरो तले जमीन खिसकने लगी,देशकेप्रतिसमर्पणदेखकर राजा शिव प्रताप कीसेनाकेपैरउखड़गये। राजा शिव प्रताप के सैनिक पीछे भागने लगे,उसकेसैनिकोंनेजीतकीआशाछोड़दीऔरउल्टेपैरभागगये। राजा बीरपति की जीत हुई.
इसजीतसेराजाबीरपतिकासिरऊंचाहोगया वो बहुत खुश था,लेकिनउसकासिरअपनीप्रजाकेसामनेझुकगया।राजानेप्रजासेकहा, “मैंनेअपनेनिजीस्वार्थकीपूर्तिकेलिएतुम्हेंप्यासारखनेकीयोजनाबनाईथी।मैंभूलगयाथा किजनताकेसहयोगकेबिनाकोई राज्य बहुत समय तक नहीं चल सकताऔरकिसी वी राज्य का कभी वी भला नही हो सकता। मैंने आप सभी के लिये कुछ अच्छा नहीं किया, लेकिनइसस्थितिमेभीआप सभ ने अपनीदेशभक्तिनहीछोड़ी औरसंकटकेसमय सभी मतभेदभुलाकरएकहोगये।आपकीएकता, देशभक्तिऔरसमर्पणकीभावनाही इस जीत काआधारबनीऔर हमे जीतहासिलहुई।मैअपनीगलतीकेलिएक्षमाचाहताहूंऔरभविष्यमेआपकाराजाबनकर नहीबल्किआपकासेवकबनकर रहूगा।मैकोईभीजनविरोधीकार्यनहीकरूंगा,और कोई वी राज्य की नयी परिजोजना पूरे राज्य की सहमति से ही शुरू करूगा. अबपूरेदेशमेंखुशीकीलहरथी.
( कभी भी अपने स्वार्थ के लिये दूसरो का बुरा ना करे,किया पता कबकिसकीजरूरतपड़जाऐ जे कोई नही जानता )