कवि चमनदास की हिन्दी कहानी | Hindi Kahani 432

कवि चमनदास की हिन्दी कहानी

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एक बार राजा बीरपति प्रसिद्ध कवि चमनदास से मिलने गया लेकिन वह भेष बदलकर उनके घर गया। उस ने देखा उस समय चमनदास ने अपनी बेटी को बुलाया और कहा, बेटी दर्पण लाओ, मैं तिलक लगा रहा हूं।जब बेटी ने दर्पणउठाया वो गिर गया और वह गिरकर टूट गया। यह देखकर चमनदास ने कहा कोई बात नही,जाओ लोटे मे पानी ले  आओ । तबी राजा बीरपति घर के अंदर आ गया और चमनदास को बोला मैं पास के गाव से आया हूं आप का बहुत नाम सुना है,बस आप से मिलना चाहता था.

राजा बीरपति चमनदास के पास बैठकर बातें कर रहा था तबी चमनदास की बेटी बर्तन मे पानी लेकर आई। जल मे अपना मुख देखकर चमनदास ने तिलक लगाया। यह देखकर राजा को आश्चर्य हुआ।

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कु देर बातचीत करने के बाद राजा वहाँ से चला गया, अगले दिन वह फिर भेष बदलकर गया और एक स्वर्णजड़ितदर्पण लेकर कवि के पास आया और बोला, “कविराज! यह एक छोटी सी भेंट है आपके लिये आपसे निवेदन है आप इसे स्वीकार करें।कवि चमनदास ने कहा ठीक है आप जहां रख दो. राजा बीरपति ने उस स्वर्णजड़ित दर्पण को कवि चमनदास के पास रख दिया और कहा अब मुझे अनुमति दें में अपने गाव जाऊगा और बोला क्या कल में आप से फिर मिल सकता हूं ? कवि चमनदास ने कहा हा जरूर आ सकते हो,हम आपसे मिलकर बहुत खुश हैं लेकिन मेरी एक विनती है।राजा ने पूछा,किया कविराज? चमनदास ने कहा, अगर आगे से तुम मेरे घर आओ तो खाली हाथ आना।यदि तुम ऐसी चीजें अपने साथ लाओगे तो मेरा घर बेकार चीजों से भर जायेगा। मुझे बेकार चीजों से कोई लगाव नहीं है. अगर आप कुछ देना चाहते हो तो जो इस राज्य की प्रजा है उनकी शिक्षा और उपचार के लिये राजा बीरपति ने हॉस्पिटल और पाठशाला का निर्माण शुरू किया है अगर आप उस कार्य मे कुश धन की मदद करना चाहो तो कर सकते हो. इस राज्य की प्रजा खुश रहे और जे राज्य खूशहाल हो बस इसी मे मैं खुश हूं ।राजा को कवि का यह रूप देखकर आश्चर्य हुआ।वह समझ गए कि कवि चमनदास की गरीबी उनकी मजबूरी नहीं है, इस तरह काजीवन उन्हें संतुष्टि देता है।राजा बीरपति कवि चमनदास से बहुत प्रभावित हुआ। राजा यह सोचकर प्रसन्न हुआ कि कवि चमनदास मोह, माया आदि से बहुत ऊपर है। उस दिन से चमनदास राजा का प्रिय बन गया। यह राजा के लिए गर्व की बात थी कि चमनदास जैसे लोग उसके राज्य मे रहते थे।राजा बीरपति ने कवि चमनदास को अपने दरबार मे बुलाया और उसको राज्य की सबसे बड़ी उपाधि से सन्मानित किया. कवि चमनदास को राज्य के मंत्री मनी के पद पर निजुक्त किया गया.

( निर्स्वार्थ अगर आप सबका अच्छा सोचते और अच्छा करते हो तो वो भगवान आपका हमेशा अच्छा ही करते है और हमेशा आपके साथ रहते है )
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