एकबारराजाबीरपतिप्रसिद्धकविचमनदाससेमिलने गया लेकिन वह भेषबदलकरउनकेघरगया। उस ने देखा उस समयचमनदास ने अपनीबेटीकोबुलाया और कहा, बेटीदर्पणलाओ, मैंतिलकलगारहाहूं।” जबबेटी ने दर्पणउठाया वो गिर गया और वहगिरकरटूटगया।यहदेखकर चमनदास नेकहा कोई बात नही,जाओ लोटेमेपानीले आओ । तबी राजा बीरपति घर के अंदर आ गया और चमनदास को बोला मैं पास के गाव से आया हूं आप का बहुत नाम सुना है,बस आप से मिलना चाहता था.
राजा बीरपति चमनदास केपासबैठकरबातेंकर रहा था तबी चमनदास की बेटीबर्तनमेपानीलेकरआई।जलमेअपनामुखदेखकर चमनदास नेतिलकलगाया।यहदेखकरराजाकोआश्चर्य हुआ।
कुछ देर बातचीत करने के बाद राजावहाँसेचलागया, अगलेदिनवह फिर भेषबदलकर गया और एकस्वर्ण–जड़ितदर्पणलेकरकविकेपासआयाऔरबोला, “कविराज! यहएकछोटीसीभेंटहै आपके लिये आपसे निवेदन है आप इसेस्वीकारकरें।कवि चमनदास ने कहा ठीक है आप जहां रख दो. राजा बीरपति ने उस स्वर्ण–जड़ितदर्पण को कवि चमनदास के पास रख दिया और कहा अब मुझे अनुमति दें में अपने गाव जाऊगा और बोला क्या कल में आप से फिर मिल सकता हूं ? कवि चमनदास ने कहा हा जरूर आ सकते हो,हमआपसेमिलकरबहुतखुशहैंलेकिनमेरीएकविनती है।राजानेपूछा,किया कविराज? चमनदास नेकहा, अगर आगे से तुम मेरेघर आओ तो खालीहाथ आना।यदितुम ऐसीचीजेंअपनेसाथलाओगेतोमेराघरबेकारचीजोंसेभरजायेगा।मुझेबेकारचीजोंसेकोईलगावनहींहै. अगर आप कुछ देना चाहते हो तो जो इस राज्य की प्रजा है उनकी शिक्षा और उपचार के लिये राजा बीरपति ने हॉस्पिटल और पाठशाला का निर्माण शुरू किया है अगर आप उस कार्य मे कुश धन की मदद करना चाहो तो कर सकते हो. इस राज्य की प्रजा खुश रहे और जे राज्य खूशहाल हो बस इसी मे मैं खुश हूं ।राजाकोकविकायहरूपदेखकरआश्चर्यहुआ।वहसमझगएकिकविचमनदासकीगरीबीउनकीमजबूरीनहींहै,इसतरहका ‘जीवनउन्हेंसंतुष्टिदेताहै।‘राजा बीरपति कविचमनदाससेबहुतप्रभावितहुआ।राजायहसोचकरप्रसन्नहुआकिकविचमनदासमोह, मायाआदिसे बहुतऊपरहै।उसदिनसे चमनदास राजाकाप्रियबनगया।यहराजाकेलिएगर्वकीबातथीकिचमनदासजैसे लोगउसकेराज्यमेरहतेथे।राजा बीरपति ने कवि चमनदास को अपने दरबार मे बुलाया और उसको राज्य की सबसे बड़ी उपाधि से सन्मानित किया. कवि चमनदास को राज्य के मंत्री मनी के पद पर निजुक्त किया गया.
( निर्स्वार्थ अगर आप सबका अच्छा सोचते और अच्छा करते हो तो वो भगवान आपका हमेशा अच्छा ही करते है और हमेशा आपके साथ रहते है )